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सूर्य जल को सोखता है और वृष्टि करवाता है| इस वृष्टि से अन्न पैदा होता है और अन्न से रस पैदा होता है| इसी रस से जीव जगत की वृद्धि होती है|
ठीक इसी प्रकार शरीर में यदि आत्मा न हो तो प्राणों को ऊर्जा न मिलने से वे निष्क्रिय रहेंगे| अर्थात शरीर के विभिन्न कार्य जैसे पाचन, खून का बहन आदि कर्म नहीं हो सकेंगे|
सूर्य जल को सोखता है और वृष्टि करवाता है| इस वृष्टि से अन्न पैदा होता है और अन्न से रस पैदा होता है| इसी रस से जीव जगत की वृद्धि होती है|
ठीक इसी प्रकार शरीर में यदि आत्मा न हो तो प्राणों को ऊर्जा न मिलने से वे निष्क्रिय रहेंगे| अर्थात शरीर के विभिन्न कार्य जैसे पाचन, खून का बहन आदि कर्म नहीं हो सकेंगे|