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1.2.8 सूर्य तथा वायु watercycle चलाए रखकर पृथ्वी का निरंतर पोषण करते रहते हैं|
सूर्य (पिछले मंत्र के अनुसार सूर्य) तथा वायु (प्राण या वरुण) संसार को चलाए रखते हैं|
1.2.9 आत्मा और प्राण मिलकर जीव के कर्म संस्कारों को धारण करते हैं|
आत्मा तथा प्राण में जीव के कर्मों के संस्कार मिले रहते हैं| इस कारण उसे पुनर्जन्म लेना पड़ता है|
1.2.8 सूर्य तथा वायु watercycle चलाए रखकर पृथ्वी का निरंतर पोषण करते रहते हैं|
सूर्य (पिछले मंत्र के अनुसार सूर्य) तथा वायु (प्राण या वरुण) संसार को चलाए रखते हैं|
1.2.9 आत्मा और प्राण मिलकर जीव के कर्म संस्कारों को धारण करते हैं|
आत्मा तथा प्राण में जीव के कर्मों के संस्कार मिले रहते हैं| इस कारण उसे पुनर्जन्म लेना पड़ता है|