Vedic Broadcast

ऋग्वेद - मण्डल 1. सूक्त 15. मंत्र 12


Listen Later

गार्ह॑पत्येन सन्त्य ऋ॒तुना॑ यज्ञ॒नीर॑सि। दे॒वान्दे॑वय॒ते य॑ज॥ - ऋग्वेद (1.15.12)


पदार्थ -

जो (सन्त्य) क्रियाओं के विभाग में अच्छी प्रकार प्रकाशित होनेवाला भौतिक अग्नि (गार्हपत्येन) गृहस्थों के व्यवहार से (ऋतुना) ऋतुओं के साथ (यज्ञनीः) तीन प्रकार के यज्ञ को प्राप्त करानेवाला (असि) है, सो (देवयते) यज्ञ करनेवाले विद्वान् के लिये शिल्पविद्या में (देवान्) दिव्य व्यवहारों का (यज) संगम करता है॥१२॥


भावार्थ -

जो विद्वानों से सब व्यवहाररूप कामों में ऋतु-ऋतु के प्रति विद्या के साथ अच्छी प्रकार प्रयोग किया हुआ अग्नि है, सो मनुष्य आदि प्राणियों के लिये दिव्य सुखों को प्राप्त कराता है॥१२॥जो सब देवों के अनुयोगी वसन्त आदि ऋतु हैं, उनके यथायोग्य गुणप्रतिपादन से चौदहवें सूक्त के अर्थ के साथ इस पन्द्रहवें सूक्त के अर्थ की सङ्गति जाननी चाहिये। इस सूक्त का भी अर्थ सायणाचार्य्य आदि तथा यूरोपदेशवासी विलसन आदि लोगों ने कुछ का कुछ वर्णन किया है॥


--------------------------------------------------------------------------------------

Spotify - https://spoti.fi/3sCWtJw

Google podcast - https://bit.ly/3dU7jXO

Apple podcast - https://apple.co/3dStOfy


Whatsapp पर वेद मंत्र प्राप्त करें: https://bit.ly/3srBbPu


हमसे facebook पर जुड़ें: https://bit.ly/3uDUAhJ


हमारे Youtube चैनल से जुड़ें: https://bit.ly/3q1DTt4


हमें Instagram पर फॉलो करें: https://www.instagram.com/agnidhwaj


हमारी website: www.agnidhwaj.in


(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)


#ved #ॐ #ईश्वर #परमात्मा #वेद #धर्म #सत्य #न्याय #अध्यात्म #हिन्दू #religion #god #om #आत्मा #आत्मज्ञान #वेदविद्या #वेदज्ञान 

---
Send in a voice message: https://anchor.fm/daily-one-ved-mantra/message
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

Vedic BroadcastBy This podcast is brought to you by Gaurashtra.com