
Sign up to save your podcasts
Or
ब्राह्म॑णादिन्द्र॒ राध॑सः॒ पिबा॒ सोम॑मृ॒तूँरनु॑। तवेद्धि स॒ख्यमस्तृ॑तम्॥ - ऋग्वेद (1.15.5)
जो (इन्द्र) ऐश्वर्य्य वा जीवन का हेतु वायु (ब्राह्मणात्) बड़े का अवयव (राधसः) पृथिवी आदि लोकों के धन से (अनुऋतून्) अपने-अपने प्रभाव से पदार्थों के रस को हरनेवाले वसन्त आदि ऋतुओं के अनुक्रम से (सोमम्) सब पदार्थों के रस को (पिब) ग्रहण करता है, इससे (हि) निश्चय से (तव) उस वायु का पदार्थों के साथ (अस्तृतम्) अविनाशी (सख्यम्) मित्रपन है॥५॥
मनुष्यों को योग्य है कि जगत् के रचनेवाले परमेश्वर ने जो-जो जिस-जिस वायु आदि पदार्थों में नियम स्थापन किये हैं, उन-उनको जान कर कार्य्यों को सिद्ध करना चाहिये, और उन से सिद्ध किये हुए धन से सब ऋतुओं में सब प्राणियों के अनुकूल हित सम्पादन करना चाहिये, तथा युक्ति के साथ सेवन किये हुए पदार्थ मित्र के समान होते और इससे विपरीत शत्रु के समान होते हैं, ऐसा जानना चाहिये॥५॥
--------------------------------------------------------------------------------------
Spotify - https://spoti.fi/3sCWtJw
Google podcast - https://bit.ly/3dU7jXO
Apple podcast - https://apple.co/3dStOfy
Whatsapp पर वेद मंत्र प्राप्त करें: https://bit.ly/3srBbPu
हमसे facebook पर जुड़ें: https://bit.ly/3uDUAhJ
हमारे Youtube चैनल से जुड़ें: https://bit.ly/3q1DTt4
हमारी website: www.agnidhwaj.in
(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)
(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)
ब्राह्म॑णादिन्द्र॒ राध॑सः॒ पिबा॒ सोम॑मृ॒तूँरनु॑। तवेद्धि स॒ख्यमस्तृ॑तम्॥ - ऋग्वेद (1.15.5)
जो (इन्द्र) ऐश्वर्य्य वा जीवन का हेतु वायु (ब्राह्मणात्) बड़े का अवयव (राधसः) पृथिवी आदि लोकों के धन से (अनुऋतून्) अपने-अपने प्रभाव से पदार्थों के रस को हरनेवाले वसन्त आदि ऋतुओं के अनुक्रम से (सोमम्) सब पदार्थों के रस को (पिब) ग्रहण करता है, इससे (हि) निश्चय से (तव) उस वायु का पदार्थों के साथ (अस्तृतम्) अविनाशी (सख्यम्) मित्रपन है॥५॥
मनुष्यों को योग्य है कि जगत् के रचनेवाले परमेश्वर ने जो-जो जिस-जिस वायु आदि पदार्थों में नियम स्थापन किये हैं, उन-उनको जान कर कार्य्यों को सिद्ध करना चाहिये, और उन से सिद्ध किये हुए धन से सब ऋतुओं में सब प्राणियों के अनुकूल हित सम्पादन करना चाहिये, तथा युक्ति के साथ सेवन किये हुए पदार्थ मित्र के समान होते और इससे विपरीत शत्रु के समान होते हैं, ऐसा जानना चाहिये॥५॥
--------------------------------------------------------------------------------------
Spotify - https://spoti.fi/3sCWtJw
Google podcast - https://bit.ly/3dU7jXO
Apple podcast - https://apple.co/3dStOfy
Whatsapp पर वेद मंत्र प्राप्त करें: https://bit.ly/3srBbPu
हमसे facebook पर जुड़ें: https://bit.ly/3uDUAhJ
हमारे Youtube चैनल से जुड़ें: https://bit.ly/3q1DTt4
हमारी website: www.agnidhwaj.in
(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)
(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)