Vedic Broadcast

ऋग्वेद - मण्डल 1. सूक्त 17. मंत्र 2


Listen Later

गन्ता॑रा॒ हि स्थोऽव॑से॒ हवं॒ विप्र॑स्य॒ माव॑तः। ध॒र्तारा॑ चर्षणी॒नाम्॥ - ऋग्वेद (1.17.2)


पदार्थ -

जो (हि) निश्चय करके ये सम्प्रयोग किये हुए अग्नि और जल (मावतः) मेरे समान पण्डित तथा (विप्रस्य) बुद्धिमान् विद्वान् के (हवम्) पदार्थों का लेना-देना करानेवाले होम वा शिल्प व्यवहार को (गन्तारा) प्राप्त होते तथा (चर्षणीनाम्) पदार्थों के उठानेवाले मनुष्य आदि जीवों के (धर्त्तारा) धारण करनेवाले (स्थः) होते हैं, इससे मैं इनको अपने सब कामों की (अवसे) क्रिया की सिद्धि के लिये (आवृणे) स्वीकार करता हूँ॥२॥


भावार्थ -

पूर्वमन्त्र से इस मन्त्र में आवृणे इस पद का ग्रहण किया है। विद्वानों से युक्ति के साथ कलायन्त्रों में युक्त किये हुए अग्नि-जल जब कलाओं से बल में आते हैं, तब रथों को शीघ्र चलाने, उनमें बैठे हुए मनुष्य आदि प्राणी पदार्थों के धारण कराने और सबको सुख देनेवाले होते हैं॥२॥


--------------------------------------------------------------------------------------

पॉडकास्ट पर इस एपिसोड को सुनें:

Spotify - https://spoti.fi/3sCWtJw

Google podcast - https://bit.ly/3dU7jXO

Apple podcast - https://apple.co/3dStOfy

--------------------------------------------------------------------------------------

Whatsapp पर वेद मंत्र प्राप्त करें: https://bit.ly/3srBbPu

हमसे facebook पर जुड़ें: https://bit.ly/3uDUAhJ

हमारे Youtube चैनल से जुड़ें: https://bit.ly/3q1DTt4

हमें Instagram पर फॉलो करें: https://www.instagram.com/agnidhwaj

हमारी website: www.agnidhwaj.in

(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)

#ved #ॐ #ईश्वर #परमात्मा #वेद #धर्म #सत्य #न्याय #अध्यात्म #om #आत्मा #आत्मज्ञान #वेदविद्या #वेदज्ञान #spirituality #spiritual #spiritualawakening

---
Send in a voice message: https://anchor.fm/daily-one-ved-mantra/message
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

Vedic BroadcastBy This podcast is brought to you by Gaurashtra.com