Vedic Broadcast

ऋग्वेद मण्डल 1. सूक्त 22. मंत्र 15


Listen Later

स्यो॒ना पृ॑थिवि भवानृक्ष॒रा नि॒वेश॑नी। यच्छा॑ नः॒ शर्म॑ स॒प्रथः॑॥ - ऋग्वेद 1.22.15 


पदार्थ -

जो यह (पृथिवी) अति विस्तारयुक्त (स्योना) अत्यन्त सुख देने तथा (अनृक्षरा) जिसमें दुःख देनेवाले कण्टक आदि न हों (निवेशनी) और जिसमें सुख से प्रवेश कर सकें, वैसी (भव) होती है, सो (नः) हमारे लिये (सप्रथः) विस्तारयुक्त सुखकारक पदार्थवालों के साथ (शर्म्म) उत्तम सुख को (यच्छ) देती है॥


-------------------------------------------

(भाष्यकार - स्वामी दयानंद सरस्वती जी)

(सविनय आभार: www.vedicscriptures.in)

...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

Vedic BroadcastBy This podcast is brought to you by Gaurashtra.com