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सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले (Savitribai Jyotirao Phule) एक प्रमुख भारतीय सामाजिक सुधारक, शिक्षाविद और कवियत्री थी. जिन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्हें उस समय की कुछ साक्षर महिलाओं में गिना जाता है. सावित्रीबाई को पुणे में अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ भिडवाडा में स्कूल स्थापित करने के लिए श्रेय दिया जाता है. उन्होंने बाल विवाह के प्रति शिक्षित करने और उन्मूलन करने, सती प्रथा के खिलाफ प्रचार करने और विधवा पुनर्विवाह के लिए वकालात करने के लिए बहुत मेहनत की. महाराष्ट्र के सामाजिक सुधार आंदोलन का एक प्रमुख व्यक्तित्व और उन्हें बी आर अम्बेडकर, अन्नाभाऊ साठे की पसंद के साथ दलित मंगल जाति का प्रतीक माना जाता है. उन्होंने अस्पृश्यता (Untouchability) के खिलाफ अभियान चलाया और जाति व लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने में सक्रिय रूप से काम किया.
By Sucheta Chandanshiveसावित्रीबाई ज्योतिराव फुले (Savitribai Jyotirao Phule) एक प्रमुख भारतीय सामाजिक सुधारक, शिक्षाविद और कवियत्री थी. जिन्होंने उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्हें उस समय की कुछ साक्षर महिलाओं में गिना जाता है. सावित्रीबाई को पुणे में अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ भिडवाडा में स्कूल स्थापित करने के लिए श्रेय दिया जाता है. उन्होंने बाल विवाह के प्रति शिक्षित करने और उन्मूलन करने, सती प्रथा के खिलाफ प्रचार करने और विधवा पुनर्विवाह के लिए वकालात करने के लिए बहुत मेहनत की. महाराष्ट्र के सामाजिक सुधार आंदोलन का एक प्रमुख व्यक्तित्व और उन्हें बी आर अम्बेडकर, अन्नाभाऊ साठे की पसंद के साथ दलित मंगल जाति का प्रतीक माना जाता है. उन्होंने अस्पृश्यता (Untouchability) के खिलाफ अभियान चलाया और जाति व लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने में सक्रिय रूप से काम किया.