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मन्दिर mai bhakton के प्राण baste हैं। वे प्रतिदिन मन्दिर में अर्चन, आरती, भोग अर्पण इत्यादि करता है ।
अत: यह कहना ही पर्याप्त है कि उसे 100% सुस्पष्ट होना चाहिए कि -
- उसके इष्ट देव कौन हैं ?
- उसके आचार्य कौन हैं, जो नित्य इष्ट देव की सेवा में संलग्न हैं ।
तो क्या नृसिंह देव के मन्दिर में षड् गोस्वामी हो सकते है ?
By SRI SRI 108 SHACHINANDAN JI MAHARAJमन्दिर mai bhakton के प्राण baste हैं। वे प्रतिदिन मन्दिर में अर्चन, आरती, भोग अर्पण इत्यादि करता है ।
अत: यह कहना ही पर्याप्त है कि उसे 100% सुस्पष्ट होना चाहिए कि -
- उसके इष्ट देव कौन हैं ?
- उसके आचार्य कौन हैं, जो नित्य इष्ट देव की सेवा में संलग्न हैं ।
तो क्या नृसिंह देव के मन्दिर में षड् गोस्वामी हो सकते है ?