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रैदास को रविदास के नाम से भी जाना जाता है।v इनके लगभग सौ पद गुरुग्रंथ साहब में भी प्रकाशित हुए हैं।v संत कवि रैदास के कुछ पद संतवाणी में भी मिलते हैं।v इनकी रचनाओं का एक अलग संग्रह भी हैं।v इनकी ज्ञान-साधना अनुभव पर आधारित है।v ब्रजभाषा में अवधी, राजस्थानी, खड़ी बोली, अरबी-फारसी शब्दों का भी मिश्रण मिलता है। संत रैदास की भक्ति दास्य भाव की भक्ति है।heck out my latest episode!
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