ओशो कहते हैं कि सेक्स को न दबाएँ, न नजरअंदाज करें, बल्कि इसे सजगता के साथ समझें और इसके पार जाएँ। क्या सेक्स सिर्फ थकान है या ये एक ऐसी शक्ति है जो हमें ध्यान और समाधि तक ले जा सकती है।
ओशो कहते हैं कि सेक्स को न दबाएँ, न नजरअंदाज करें, बल्कि इसे सजगता के साथ समझें और इसके पार जाएँ। क्या सेक्स सिर्फ थकान है या ये एक ऐसी शक्ति है जो हमें ध्यान और समाधि तक ले जा सकती है।