बज़्म-ए-महफ़िल में कदम ज़रा आहिस्ता रखना
हो तो इंसान, मगर दिल में फ़रिश्ता रखना |
रेडियो प्लेबैक इंडिया प्रस्तुत करते हैं शेरो-शायरी, ग़ज़ल-नज़्म और कविताओं से सजी एक अनोखी महफ़िल जिसे लेकर आ रहे हैं ख़ास आप के लिए अपनी आवाज़ और अंदाज़ के लिए मशहूर - मनुज मेहता |