Shiv Puran Katha in Hindi

शिव पुराण: ब्रह्मा-विष्णु संवाद | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 10


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यह अध्याय शिव पुराण से लिया गया है और इसमें ब्रह्मा-विष्णु संवाद का वर्णन किया गया है। इसमें भगवान शिव के रुद्र अवतार और देवी सती के जन्म एवं विवाह की चर्चा की गई है।

  1. ब्रह्मा की चिंता: ब्रह्माजी यह चाहते हैं कि भगवान शिव विवाह करें, इसलिए वे विष्णुजी से इस विषय में मार्गदर्शन मांगते हैं।
  2. विष्णुजी का उत्तर: विष्णुजी समझाते हैं कि भगवान शिव निर्गुण और परब्रह्म हैं, लेकिन वे रुद्र रूप में अवतरित होंगे, और उनकी पत्नी देवी सती होंगी।
  3. देवी शिवा (सती/पार्वती) की भूमिका: देवी सती प्रजापति दक्ष की पुत्री बनकर जन्म लेंगी और कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करेंगी।
  4. भगवान शिव का सर्वोच्च स्वरूप: विष्णुजी बताते हैं कि शिवजी और शिवा (सती) निर्गुण, ब्रह्मस्वरूप और भक्तों के अधीन हैं। वे भक्तों की इच्छानुसार कार्य करते हैं।
  5. दक्ष को आज्ञा: ब्रह्माजी को निर्देश दिया जाता है कि वे प्रजापति दक्ष को तपस्या करने के लिए कहें ताकि देवी सती का जन्म हो और वे भगवान शिव से विवाह करें।
  6. विष्णुजी का अंतर्धान: विष्णुजी अंतर्धान हो जाते हैं, और ब्रह्माजी को यह समझ आ जाता है कि उनके संदेहों और समस्याओं का समाधान क्या है।

यह अध्याय भगवान शिव के रुद्र अवतार, देवी सती के जन्म और उनके विवाह की भविष्यवाणी को स्पष्ट करता है। यह भगवान शिव की दिव्यता और भक्तों के प्रति उनकी करुणा को भी दर्शाता है।


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Shiv Puran Katha in HindiBy Stream Panther Network