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स अध्याय में नारद जी के प्रश्न पर ब्रह्मा जी बताते हैं कि भगवान विष्णु के जाने के बाद उन्होंने देवी दुर्गा (योगनिद्रा, चामुंडा) का स्मरण किया और उनसे प्रार्थना की कि वे धरती पर अवतरित होकर भगवान शिव से विवाह करें। ब्रह्मा जी को यह चिंता थी कि शिवजी गृहस्थ जीवन में प्रवेश नहीं करना चाहते।
देवी चामुंडा प्रकट होकर कहती हैं कि भगवान शिव को मोह में डालना असंभव है, क्योंकि वे परम योगी और ब्रह्मचारी हैं, लेकिन ब्रह्मा जी की भक्ति से प्रसन्न होकर वे वचन देती हैं कि वे सती रूप में जन्म लेंगी और प्रयत्न करेंगी कि भगवान शिव गृहस्थ जीवन स्वीकार करें। अंततः देवी अंतर्धान हो जाती हैं।
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शिव पुराण, ब्रह्मा की प्रार्थना, काली देवी कथा, योगनिद्रा चामुंडा, शिव विवाह कथा, देवी सती अवतार, रुद्र ब्रह्मचारी, नारद ब्रह्मा संवाद, पार्वती अवतार, देवी दुर्गा स्तुति, ब्रह्मा विष्णु शिव कथा, शिव तपस्या, देवी सती कथा, सनातन धर्म, हिंदू धर्म, पुराण कथाएं, शिव पुराण अध्याय
स अध्याय में नारद जी के प्रश्न पर ब्रह्मा जी बताते हैं कि भगवान विष्णु के जाने के बाद उन्होंने देवी दुर्गा (योगनिद्रा, चामुंडा) का स्मरण किया और उनसे प्रार्थना की कि वे धरती पर अवतरित होकर भगवान शिव से विवाह करें। ब्रह्मा जी को यह चिंता थी कि शिवजी गृहस्थ जीवन में प्रवेश नहीं करना चाहते।
देवी चामुंडा प्रकट होकर कहती हैं कि भगवान शिव को मोह में डालना असंभव है, क्योंकि वे परम योगी और ब्रह्मचारी हैं, लेकिन ब्रह्मा जी की भक्ति से प्रसन्न होकर वे वचन देती हैं कि वे सती रूप में जन्म लेंगी और प्रयत्न करेंगी कि भगवान शिव गृहस्थ जीवन स्वीकार करें। अंततः देवी अंतर्धान हो जाती हैं।
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