Shiv Puran Katha in Hindi

शिव पुराण: दक्ष की तपस्या | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 12


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इस अध्याय में नारद जी, ब्रह्माजी से प्रश्न करते हैं कि प्रजापति दक्ष ने देवी की किस प्रकार तपस्या की और उन्हें क्या वरदान प्राप्त हुआ?

ब्रह्मा जी बताते हैं कि उनकी आज्ञा से प्रजापति दक्ष क्षीरसागर के तट पर तपस्या के लिए गए और वहां बैठकर देवी उमा को पुत्री रूप में प्राप्त करने की प्रार्थना करते हुए कठोर व्रत का पालन किया। तीन हजार दिव्य वर्षों तक केवल वायु और जल पर निर्वाह करते हुए उन्होंने घोर तप किया।

उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवी कालिका (जगदंबा) अपने सिंह पर सवार होकर प्रकट हुईं। देवी ने दक्ष की भक्ति और नम्रता से प्रसन्न होकर उन्हें वर मांगने को कहा। दक्ष ने निवेदन किया कि वे उनकी पुत्री बनें और शिवजी से विवाह करें। उन्होंने कहा कि केवल देवी ही ऐसी हैं जो भगवान शिव को गृहस्थ आश्रम में लाने में समर्थ हैं।

देवी ने कहा कि वे स्वयं शिव की दासी हैं और प्रत्येक जन्म में शिव ही उनके स्वामी होते हैं। उन्होंने वचन दिया कि वे दक्ष के घर पुत्री रूप में जन्म लेंगी, लेकिन यह चेतावनी भी दी कि यदि कभी उनके प्रति आदर कम होगा, तो वे अपना शरीर त्याग देंगी।

अंत में देवी जगदंबा अंतर्धान हो गईं और प्रजापति दक्ष प्रसन्न मन से घर लौट आए।


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Shiv Puran Katha in HindiBy Ajay Tambe