Shiv Puran Katha in Hindi

शिव पुराण - रूद्रदेव का सती से विवाह | श्रीरुद्र संहिता | अध्याय 16


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इस अध्याय में ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं द्वारा भगवान शिव की स्तुति की जाती है और उनसे अनुरोध किया जाता है कि वे लोकहित के लिए विवाह करें। भगवान शिव पहले अपने तप, वैराग्य और योगमयी जीवन का वर्णन करते हुए विवाह को अस्वीकार करते हैं, लेकिन फिर देवताओं के आग्रह और लोककल्याण हेतु विवाह स्वीकार करते हैं।

विष्णु भगवान उन्हें बताते हैं कि देवी उमा ही लक्ष्मी और सरस्वती के समान उनकी अर्धांगिनी बनने के लिए तीसरे रूप में देवी सती के रूप में प्रजापति दक्ष के घर जन्म ले चुकी हैं। सती घोर तपस्या कर रही हैं ताकि शिवजी को पति रूप में प्राप्त कर सकें।

यह अध्याय देवी सती की तपस्या की सिद्धि, देवताओं की याचना और शिवजी के विवाह की स्वीकृति का सुंदर समन्वय प्रस्तुत करता है।


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Shiv Puran Katha in HindiBy Ajay Tambe