Shiv Puran Katha in Hindi

शिव पुराण : संध्या का चरित्र | श्रीरुद्र संहिता | द्वितीय खंड


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संध्या के जन्म और उनके कठोर तप की प्रेरणादायक कहानी। कैसे उन्होंने अपने जीवन को त्यागने का निश्चय किया और वशिष्ठ मुनि ने उन्हें तपस्या की विधि बताई। यह एपिसोड भक्ति, आत्मशुद्धि और तप के महत्व को दर्शाता है।


शिव पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख ग्रंथ है, जिसमें भगवान शिव के जीवन, लीलाओं, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विस्तृत वर्णन किया गया है।

संरचना:

शिव पुराण में कुल 24,000 श्लोक हैं, जो मुख्यतः सात संहिताओं में विभाजित हैं:

  1. विद्येश्वर संहिता
  2. रुद्र संहिता
  3. कोटिरुद्र संहिता
  4. कैलास संहिता
  5. वायु संहिता
  6. उमा संहिता
  7. शतरुद्र संहिता
  8. विषय-वस्तु:

    इस पुराण में भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप, उनकी महिमा, उपासना विधियों, पूजा-पद्धति, ज्ञानप्रद आख्यानों और शिक्षाप्रद कथाओं का सुंदर संयोजन है। यह ग्रंथ भगवान शिव के विभिन्न रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का व्यापक वर्णन प्रस्तुत करता है।


    महत्व:

    शिव पुराण का पठन और श्रवण भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। कहा गया है कि इसका अध्ययन करने से मनुष्य पापों से मुक्त होकर इस लोक में सुख भोगता है और अंत में शिवलोक को प्राप्त करता है।


    उपलब्धता:

    यदि आप शिव पुराण को हिंदी में पढ़ना चाहते हैं, तो यह कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। उदाहरण के लिए, 'महाकाव्य' वेबसाइट पर आप इसे हिंदी में पढ़ सकते हैं।


    शिव पुराण भगवान शिव की महिमा का गान करता है और भक्तों को उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा के मार्ग पर प्रेरित करता है।

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    Shiv Puran Katha in HindiBy Ajay Tambe