चित्रकूट की पावन धरती पर ही रामचरितमानस जैसे अमर कृति लिखने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने यहां कई वर्ष व्यतीत किए। उन्होंने ही भगवान श्री राम की भक्ति के कारण चित्रकूट को रामगिरी रूप में वर्णित किया है। और इसी स्थान पर तुलसीदास ने हनुमान बाबा की सहायता से भगवान श्री राम के साक्षात दर्शन भी किए। पौराणिक ग्रंथों में विवरण आता है की राम के आगमन से पूर्व ही सतयुग के प्रारम्भ से चित्रकूट एक बहुत सुन्दर देवी पीठ था। इस जगह पर माता सती का दाया वक्ष का निपात हुआ था। यहां की शक्ति है मां 'शिवानी' और भैरव यानी शिव को 'चंद' या "चंदा"के रूप में पूजा जाता है। आख़िर क्या है प्रभु श्री राम और सीता से जुड़ा इस शक्तिपीठ से रहस्य सुनिए इस एपिसोड में।
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