तीन पीढ़ी पहले के एक राजवैद्य, जिनकी किताबें और दवाओं की शीशियाँ उन्हें न नष्ट करने की हिदायत के कारण एक कमरे में उपेक्षित सी पड़ी थीं। इस पीढ़ी के किसी को भी उनमें कोई रुचि न थी। एक दिन घर के लड़के ने किसी तकलीफ के चलते उनकी दवाओं में से एक का सेवन कर लिया। उसके बाद तो उसकी ज़िंदगी के साथ पूरे घर का ही बहुत कुछ बदलने लगा....स्थितियाँ इतनी ज़्यजदा बिगड़ गईं कि सुधारना असंभव हो गया.....फिर एक दिन...........आज की एक ज्वलंत समस्या पर चक्रव्यूह कहानी संग्रह की छठी कहानी सुनिए, मृगतृष्णा.....