हमें जहाँ श्रद्धा रखनी चाहिए वहाँ हम श्रद्धा नहीं रखते हैं और जहाँ श्रद्धा नहीं रखनी चाहिए वहाँ हम श्रद्धा रखते हैं और फिर हम दुखी होते हैं की हमने तो सबका भला चाहा लेकिन हमारे साथ ही हमेशा ग़लत क्यों होता है। लेकिन सच्ची श्रद्धा कभी टूटती नहीं है चाहें कितनी भी बाधाएँ आ जाएँ। यह सच्ची श्रद्धा क्या है और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है आइये जानते हैं इस पॉडकास्ट के माध्यम से!
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