श्रीमद्भागवत के अष्टम स्कंध के तीसरे अध्याय में गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र दिया गया है. इसमें कुल तैतीस श्लोक हैं जिसमें गजेन्द्र ने ग्राह के मुख से छूटने के लिए श्री हरि की स्तुति की थी और श्री हरि ने गजेन्द्र की पुकार सुनकर उसे ग्राह से मुक्त करवाया. गजेन्द्र मोक्ष का महात्म्य बतलाते हुए कहा गया है कि ये समस्त पापों का नाशक, साधक है. और मोक्ष प्रदान करने वाला है |