यतो धर्मस्य ततो जय: धर्म से जीवन की रक्षा होती है। जहां धर्म है वहीं विजय है। जहां अधर्म है वहां पराजय है। इस ध्येयवाक्य का अर्थ महाभारत के श्लोक 'यतः कृष्णस्ततो धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः से आता है. कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन युधिष्ठिर की अकर्मण्यता को दूर कर उन्हें प्रेरित करने की कोशिश कर रहे थे. वह युधिष्ठिर से कहते हैं, "विजय सदा धर्म के पक्ष में रहती है, और जहां श्रीकृष्ण हैं, वहां धर्म है।