पुत्रेष्टि यज्ञ द्वारा सत्यव्रत की उत्पत्ति। पुत्रेष्टियज्ञ के एक आचार्य "गोभिल" मुनि द्वारा शापित होनेके कारण वे मूढ उत्पन्न हुये और माता-पिता-गुरु द्वारा बहुत प्रयास करने पर भी कुछ पढ़ न सके। मूर्खता की ग्लानिके कारण उन्है वराग्य हो गया और वनमें जाकर तपस्या करने लगे। वह मूर्ख थे किन्तु उनका एक दृढ़संकल्प था कि "मैं असत्य नहीं बोलूंगा"।