गोस्वामी तुलसीदासजी की एकमात्र मनोकामना - मानस ग्रन्थ को सज्जनोंके समाज में सम्मान मिले। "होहु प्रसन्न देहु बरदानू। साधु समाज भनिति सनमानू।।" कीर्ति, ऐश्वर्य और रचना वही अच्छी है जिससे सबका भला हो।
गोस्वामी तुलसीदासजी की एकमात्र मनोकामना - मानस ग्रन्थ को सज्जनोंके समाज में सम्मान मिले। "होहु प्रसन्न देहु बरदानू। साधु समाज भनिति सनमानू।।" कीर्ति, ऐश्वर्य और रचना वही अच्छी है जिससे सबका भला हो।