दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

श्रीरामचरित मानस, बालकाण्ड, 14.4 से 14(ङ)।


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गोस्वामी तुलसीदासजी की एकमात्र मनोकामना - मानस ग्रन्थ को सज्जनोंके समाज में सम्मान मिले। "होहु प्रसन्न देहु बरदानू। साधु समाज भनिति सनमानू।।" कीर्ति, ऐश्वर्य और रचना वही अच्छी है जिससे सबका भला हो।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati