दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

श्रीरामचरित मानस, बालकाण्ड, 26


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राम नामकी महिमा। स्वयं राम भी नाम की महिमा का वर्णन नहीं कर सकते। शङ्करजी नामजप के कारण ही अविनाशी हैं और अमंगल वेश धारण करते हुये भी मंगलराशि हैं। शुकदेव, सनकादि ऋषि इत्यादि नामके प्रभाव से ही ब्रह्मानन्दमें मगन रहते हैं। भक्तशिरोमणि प्रह्लाद और ध्रुव की कथा प्रसिद्ध ही है। हनुमानजी ने नामजप के बल पर ही राम को अपने वशमें कर लिया है। अजामिल, गज, गणिका की कथा प्रसिद्ध है। स्वयं तुलसी दास जी अपने को कहते हैं कि मैं तो भांग के पौधे की भांति अग्राह्य था, किन्तु नामजप कर तुलसी माता की भांति पूजनीय हो गया।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati