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श्री चैतन्य महाप्रभु की पौगंड अवस्था (8 से 10 वर्ष) की लीलाएँ उनकी अद्भुत विशेषताओं और दिव्य रूप को दर्शाती हैं। इस चरण में महाप्रभु ने बाल लीलाओं से बढ़कर कुछ और गहरी भक्ति की लीलाएँ प्रकट कीं, जो भक्तों के लिए प्रेरणादायक हैं। साथ ही, महाप्रभु का पहला विवाह भी इस समय हुआ, जो उनकी लीला के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में वर्णित है। आदि लीला के पंद्रहवें अध्याय और चैतन्य भगवतम के आठवें से दसवें अध्याय में महाप्रभु की पौगंड लीलाएँ और उनका प्रथम विवाह विस्तार से वर्णित हैं।
श्री चैतन्य महाप्रभु की पौगंड अवस्था (8 से 10 वर्ष) की लीलाएँ उनकी अद्भुत विशेषताओं और दिव्य रूप को दर्शाती हैं। इस चरण में महाप्रभु ने बाल लीलाओं से बढ़कर कुछ और गहरी भक्ति की लीलाएँ प्रकट कीं, जो भक्तों के लिए प्रेरणादायक हैं। साथ ही, महाप्रभु का पहला विवाह भी इस समय हुआ, जो उनकी लीला के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में वर्णित है। आदि लीला के पंद्रहवें अध्याय और चैतन्य भगवतम के आठवें से दसवें अध्याय में महाप्रभु की पौगंड लीलाएँ और उनका प्रथम विवाह विस्तार से वर्णित हैं।