सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो इधर-उधर कई मंजिल है, चल सको तो चलो बने बनाये हैं साँचे, जो ढल सको तो चलो तुम अपने आप को खुद बदल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो....