"श्री राम कथा" के चौथे भाग में आपका स्वागत है। इस भाग में हम जानेंगे कि कैसे एक युवा क्षत्रिय राजा कौशिक ने महर्षि वशिष्ठ की योग शक्तियों को देखकर ब्रह्मरिषि बनने का फैसला किया और अपनी तपस्या शुरू कर दी। अनेक चुनौतियों के बावजूद, उनकी निर्णयक इच्छा ने उन्हें ब्रह्मरिषि विश्वामित्र की उपाधि दिला दी।
फिर राजा दशरथ की आज्ञा से उनके दो पुत्रों श्री राम और लक्ष्मण के साथ उन्होने दुष्ट राक्षसी तड़का और उसके पुत्रों सुबाहु और मारीच का अंत किया और अपना यज्ञ सम्पन्न किया।
तो आइये सुनते हैं, "श्री राम कथा" का यह चौथा अध्याय।
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