प्रेमचंद आधुनिक युग के पहले महत्वपूर्ण लेखक है जिन्होंने दलित समस्या पर सर्वाधिक गहराई से विचार किया है।उन्होंने आधुनिक भारतीय समाज में जातिव्यवस्था के कारण अछूत माने गए दलित समाज के त्रासद अनुभवों को अपने रचना कर्म का विषय बनाया है। प्रेमचंद ने "ठाकुर का कुआँ" कहानी में अछूतों के साथ हो रहे छुआछूत के व्यवहार के कारण अछुत पानी को छू नहीं सकते या कुएं से पानी नहीं ले सकते। जैसी सामाजिक समस्या की पीड़ात्मक अनुभूति को अभिव्यक्ति दी है।