दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

वेदान्त। एपिसोड 530. अपरोक्षानुभूतिः 18. (भाग 1) - विचारचन्द्रोदय 3.47-49


Listen Later

वेदान्त। एपिसोड 530. अपरोक्षानुभूतिः, श्लोक 18. (भाग 1) - विचारचन्द्रोदय 3.47-49 *"आत्मा नियामकश्चान्तर्देहो बाह्यो नियम्यकः। तयोरैक्यं प्रपश्यन्ति किमज्ञानमतः परम्।। आत्मा नियामक और अन्तर्वर्ती है। शरीर नियम्य और बाह्य है। इन दोनों की एकता देखने से बढ़कर अज्ञान और क्या हो सकता है ? *विचार चन्द्रोदय के माध्यम से श्लोक की व्याख्या। * शरीरके पचीस धर्म हैं। इनमें से पाँच पाँच प्रत्येक महाभूत के हैं। यह पचीस धर्म मैं नहीं, ये मेरे नहीं। मैं इनका जानने वाला हूँ , इनका द्रष्टा हूँ।
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati