दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

वेदान्त। एपिसोड 531. अपरोक्षानुभूतिः 18 की व्याख्या (2). विचारचन्द्रोदय 3/50-57


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अपरोक्षानुभूतिः श्लोक 18 की व्याख्या (2). विचारचन्द्रोदय 3/50-57। विगत एपिसोडमें पाँचों महाभूतों और उनके पचीस कार्यों का विश्लेषण करते हुये बताये कि मैं न तो उन पाँचमें से कोई हूँ न पचीस में से। मैं उन सबका जानने वाला हूँ द्रष्टा हूँ । उसी प्रकार इस स्थूल शरीर और इसके धर्म यथा, नाम रूप,वर्ण,आश्रम,सम्बन्ध, परिमाण,जन्म-मरण इत्यादि प्रत्येकका विश्लेषण करते हुये बता रहे हैं कि यह सब मैं नहीं और यह सब मेरे नहीं। यह सब स्थूल शरीर के विषयमें कल्पित हैं। इसी प्रकार आगे क्रमशः सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर का विश्लेषण करते हुये सिद्ध करेंगे कि वह दोनों भी मैं नहीं और वह दोनों मेरे नहीं।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati