दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

वेदान्त प्रवेश -2. मनुष्य जन्म और मुक्ति की दुर्लभता। (एपिसोड 507)


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आचार्य शङ्कर भगवत्पाद विवेकचूणामणि में कहते हैं - "जन्तूनां नरजन्म दुर्लभमतः पुंस्त्वं ततो विप्रता, तस्माद्वैदिकधर्ममार्गपरता, विद्वत्वमस्मात्परम्। आत्मानात्मविवेचनं स्वनुभवो ब्रह्मात्मना संस्थितिः, मुक्तिर्नोशतकोटिजन्मसु कृतैः पुण्यैर्विना।।2।। दुर्लभं त्रयमेवैतद् दैवानुग्रहहेतुकम्। मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरुष संश्रयः।।3।।" अर्थ और व्याख्या आडियो में सुनें।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati