- वीवीएस लक्ष्मण, पूर्व क्रिकेटर
अपना कंफर्ट जोन तोड़कर बाहर आना उतना भी मुश्किल नहीं है
भारत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला होने वाली थी। हम इससे पहले ऑस्ट्रेलिया की टीम से बुरी तरह हारे थे। जख्म हरे थे। हमारा चेन्नई में ट्रेनिंग कैंप था। गैरी कर्स्टन के साथ मेंटल हेल्थ कोच पैडी अपटन आए थे। कोच का ध्यान हम सबकी अपनी-अपनी भूमिकाएं तय करने की और था। स्किल्स निखारने पर बहुत ज्यादा जोर नहीं था। हमें पुराने ग्रुप से हटाकर अलग-अलग समूहों में बांट दिया गया। और अगले एक साल का विजन लिखने के लिए कहा गया। सवालों की एक सूची सौंपी गई। उनमें आम से प्रश्न थे कि आलोचना पर कैसे प्रतिक्रिया करेंगे। कोई प्रशंसा करेगा, तो कैसा महसूस होगा। क्या आप खेल के बीच आउट होने पर दबाव महसूस करते हैं।
जाहिर तौर पर ये प्रश्नोत्तर अहसास कराने के लिए थे कि हम खुद को मोटिवेट कर सकते हैं या नहीं? या किसी बाहरी प्रेरणा की जरूरत है... हममें से अधिकांश लोगों को बाहर से किसी पुशअप की जरूरत होती है। अगर कोई पीठ ठोक दें, तो हम अच्छा प्रदर्शन करते हैं। हमें सिखाया गया कि अंदर से मोटिवेशन कैसे हासिल किया जाए। कैंप में एक दिन हम आउटिंग के लिए रिजॉर्ट गए। वहाँ सभी खिलाड़ियों को तीन बैच में बांट दिया गया। हर टीम को 12 मिनट की एक असली फिल्म बनानी थी। वहां सबकुछ अपलब्ध
था- कैमरामैन, मेकअप आर्टिस्ट, तकनीकी लोग हमारे ग्रुप में राहुल, सहवाग, भज्जी, वेंकटेश प्रसाद और मुनाफ पटेल थे। एक प में सचिन, धोनी और दूसरे साथी थी। स्क्रिप्ट लिखने, शूट करने, एडिट करने के लिए तीन घंटे का वक्त था। हमने फिल्म बनाई- सिंग इज किंग सचिन की टीम ने शोले और एक टीम ने रॉक ऑन बनाई। आखिर में अवॉर्ड फंक्शन भी हुआ। एक दृष्टि से देखें तो ये फन था! लेकिन दरअसल यह हमें अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकालने और अपनी विचार प्रक्रिया बदलने की कवायद थी। आप जब कोई काम कर गुजरे, उसके बाद अहसास होता है कि कंफर्ट जोन से बाहर आना उतना कठिन नहीं था, जितना आप उसे मानकर चलते हैं।
अच्छे क्रिकेटर के साथ बेहतर इंसान बनने के लिए मैं हमेशा कोशिश करता रहता है। इस दिशा में जो भी प्रयास हो सके, करता हूँ। 1999 में मेरी मानसिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उस स्थिति से बाहर आने के लिए एनएलपी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। काफी ज्यादा प्रेरक किताबें पढ़ी और अंततः उस स्थिति से बाहर आया। मैं हर खिलाड़ी को टोनी रॉबिन्सन की किताब 'अवेकन द जाइंट विदइन पढ़ने के लिए कहता हूं। चीजों को विजुलाइज करते देखता हूं। इससे मुझे ताकत मिलती है।