बुरा हो या अच्छा वक्त तो गुज़र जाएगा ।
सिरहाने पर सिर रख के तू फिर सो जाएगा । सुबह जब आँख खुलेगी तो अँधेरा छंट जाएगा ।
सूरज की रोशनी में ये उपवन फिर लहलहाएगा ।
हर डाली डाली पे फूल फिर महक जाएगा ।
अंधेरा तो दूर दूर तक नजर नहीं आएगा ।
अपनों का साथ पाकर तू फिर मुस्कुराएगा ।
सावन की उस पहली फुहार में तू झूम के गाएगा।
बुरा हो या अच्छा वक्त तो गुज़र जाएगा ।
सिरहाने पर सिर रख के तो फिर सो जाएगा ।