MicInkMusafir (Amitbhanu): Voices, Verses, & Voyages

ये कौन सा युग आया है(A Hindi Poem)


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ये कौन सा युग आया है

बाहर है तीखा प्रकाश

अन्तः तिमिर छाया है

ये कौन सा युग आया है

होड़ लगी आगे जाने की

छद्म सिकंदर बन जाने की

टाँग खींचते हाथ बढ़ाते

किसका घाव बड़ा है

ये कौन सा युग आया है


प्यासी नदियाँ माँगे पानी

जलते जंगल आग दीवानी

बरसे अम्ल घटा से और

फसलों ने विष खाया है

ये कौन सा युग आया है


मद्धम सूरज बूझते तारे

धूल-धूसरित पर्वत सारे

लुप्त हवाएँ भूली रस्ता

मौसम गरमाया है

ये कौन सा युग आया है


मानव पे है मानव भारी

कौन से रण की ये तैयारी

जीत के सब कुछ हार है जाना

किसने क्या पाया है

कौन सा युग आया है

ये कौन सा युग आया है!!

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MicInkMusafir (Amitbhanu): Voices, Verses, & VoyagesBy MicInkMusafir (Amitbhanu)