* अनुगीता की भूमिका एवं परिचय।* शिष्यभाव में रहते हुये कुछ दिन सेवा-सुश्रूषा करने के। उपरान्त ही प्रश्न करना चाहिए।
* विद्याप्राप्ति का उचित मार्ग -
गुरुसश्रूषया विद्या, पुष्कलेन धनेन वा।
अथवा विद्यया विद्या, चतुर्थं नैव विद्यते।।
* कोई भी सुख परिपूर्ण और केवल सुख नहीं हो सकता।
* मातापितृ सहस्राणि पुत्रदारशतानि च।
संसारेष्वनुभूतानि यान्ति याष्यन्ति चाऽपरे।।
हर्षस्थान सहस्राणि शोकस्थान शतानि च ।
दिवसे दिवसे मूढमाविशन्ति न पण्डिताः।।
* प्राण शरीर से क्यों और कैसे निकलता है?