दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

योग-वेदान्त।एपिसोड 273. अनुगीता 20 - देवता नहीं चाहते कि मनुष्य जन्म-मृत्यु के चक्रसे मुक्त हों।


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* तत्वज्ञानकी प्राप्तिमें असुर ही नहीं, देवता भी बाधा डालते हैं। दे़वता चाहते हैं कि मनुष्य कर्मकाण्ड में ही लिप्त रहें।
* धर्ममार्ग अथवा देवपूजन में आसुरी शक्तियां बाधा डालती हैं, किन्तु मोक्षमार्ग में देवता ही बाधा डालते हैं।
* तत्वज्ञान में सबका अधिकार है, कर्मकाण्ड में योग्यताका प्रतिबन्ध है। ज्ञान निष्काम कर्मका फल है, फल से किसीको वंचित नहीं किया गया है।
* 6 मास तक निरन्तर योगका अभ्यास करने से योग सिद्ध हो जाता है।
* अनुगीता के 15 अध्यायों में ब्राह्मणगीता का उपदेश।
* आत्मयाजी अर्थात् तत्वज्ञ (पाप-पुण्य से रहित) गृहस्थ के पत्नी को किस लोक की प्राप्ति होगी? अगले एपिसोड में जारी...।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati