सर्ववेदान्तसिद्धान्तसारसंग्रह श्लोक 941-948/ योगवासिष्ठ महारामायण, उत्पत्तिप्रकरण सर्ग 18 - ज्ञानकी सात भूमिकायें - 1. शुभेच्छा, 2. विचारणा, 3. तनुमानसा, 4. सत्वापत्ति, 5. पदार्थाभाविनी, 6. असंसक्ति तथा 7. तुर्यगा। सातों भूमिकाओं के लक्षण। इनमें प्रत्येक के अनेक स्तर होते हैं। शुभेच्छा से आरम्भ करिये, सत्संग करिये, क्रमशः स्वाभाविक रूपसे आगे बढेंगे। जितनी सीढी़ चढे़ रहेंगे, अगले जन्म में उससे आगे ही बढे़ंगे। भगवान् श्रीकृष्ण ने भी कहा है - "बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते"। "अनेकजन्मसंसिद्धस्ततो याति परां गतिम्"।