दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

योगशास्त्र।एपिसोड 263- योगका प्रयोग- आसन और ध्यान। वायवीय संहिता(भाग 9). प्रक्रियात्मक निर्देश(2)


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* दांतों दांतों को न सटायें।
* सिद्धासन की मुद्रा
* त्रिरुन्नत - "समं कायशिरोग्रीवं धारयन्नचलमिस्थिरः।"
* दृष्टि - नासिका के अग्र भाग पर- "संप्रेक्ष्यनासिकाग्रं स्वं दिशश्चानवलोकयन्।।"
* नासिका का अग्रभाग किसे कहें ? नाक जहां से आरम्भ होती है उसे अथवा नाक के अन्तिम भाग को?
* चक्रों के अक्षर।
* चक्रों पर ध्यान।
* जिस तत्व पर विजय पाने का उद्देश्य हो उससे सम्बन्धित चक्र पर ध्यान केन्द्रित करें।( पिछले एपिसोड 260 - 261 के क्रम में)।
* ध्यानस्थ शिवका ध्यान सर्वोत्तम है। * ध्येयके रूप अथवा देवता को बार बार बदलें नहीं।
* निर्विषय ध्यान नहीं होता क्योंकि यह बुद्धि का स्वभाव है कि वह किसी न किसी रूप पर ठहरती है। (पिछले एपिसोड 255 और 258 - अगर्भ और सगर्भ प्राणायाम के क्रम में )
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati