दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

योगशास्त्र।एपिसोड 264-प्राणायाम और ध्यान।वायवीय संहिता(भाग 10). प्रक्रियात्मक निर्देश-3


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* प्राणायामके प्रत्यक्ष लाभ - चार सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं - शान्ति, प्रशान्ति, दीप्ति और प्रसाद।
* शान्ति किसे कहते हैं? समस्त आपदाओं का शमन ।
* अज्ञान का नाश प्रशान्ति। बाहर भीतर दोनों ओर की शान्ति।
* दीप्ति क्या है? - जो बाहर भीतर ज्ञान का प्रकाश होता है उसका नाम दीप्ति है।
* प्रसाद क्या है? - बुद्धि की स्वस्थता (अपने में स्थित होना अर्थात् आत्मनिष्ठता।
* ध्याता, ध्येय, ध्यान और ध्यानका प्रयोजन - इन चारों को जानकर ध्यान करना चाहिये।
* शिवका निरन्तर चिन्तन ही ध्यान है।
* ध्यानके विना ज्ञान नहीं होता और योगाभ्यास के विना ध्यान नहीं होता। इस प्रकार योग ज्ञान का सहायक है।
* ध्यान न लगने का कारण - पूर्वके कर्मसंस्कार/पाप। इनका क्षय करने के लिये पूजा उपासना जप तप करना चाहिये। किन्तु यह सब निष्काम भाव से करने पर ही पापोंका क्षय होता है। कर्मसंस्कारों के क्षय होने पर ध्यान लगने लगता है।
* बाह्यपूजा की अपेक्षा ध्यान द्वारा आन्तरिकपूजा करने वाला भगवान् शिव का अन्तरंग होता है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati