मृत्यु और यमराजका संवाद। आकाशज विप्र का आख्यान। भौतिक शरीरको अपना स्वरूप समझने वाला अज्ञानी ही मृत्युका भोजन है, तत्वज्ञानी नहीं। तत्वज्ञानी चिन्मात्रस्वरूप है। अकेले मृत्यु किसीको नहीं मार सकता। जीवके कर्मही उसको मारते हैं, मृत्यु नहीं।उन्ही कर्मों की सहायतासे मृत्यु मारण करता है।