What's up zindagi

ज़िन्दगी की मार्कशीट (Zindagi ki Marksheet)


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मंज़िलों के ग़म में रोने से मंज़िलें नहीं मिलती

 हौंसले भी टूट जाते हैं अक्सर उदास रहने से 

 हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है

 जिस तरफ भी चल पड़ेंगे ,रास्ता हो  जायेगा 

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What's up zindagiBy Sukhnandan Bindra