यह रचना एक लेखक की आत्मा से उपजे संवादों की श्रृंखला है, जहां बचपन की महक, प्रेम की अधूरी प्रतीक्षा, और बनारस की गलियाँ जीवन का तिलिस्म बन जाती हैं। जब शब्द जलते हैं और पन्ना शांत रहना चाहता है, तब आत्मा के भीतर गूंजती है — मौन कविता। यह यात्रा, स्मृतियों और प्रश्नों की नहीं, बल्कि एक चंद्रमा की खोज की है — जो हर रात टूट कर भी लौट आता है।