जब हम अध्यात्म के पथ पर चलने लगते हैं तो अपने आप में और विचारों में बदलाव देखते हैं जिसके चलते सामाजिक अपेक्षाएँ बंधन जैसे प्रतीत होती हैं। कैसे हम उनसे बचें और अपने लक्ष्य की तरफ़ अग्रसर रहें, चलिए जानते हैं।
जब हम अध्यात्म के पथ पर चलने लगते हैं तो अपने आप में और विचारों में बदलाव देखते हैं जिसके चलते सामाजिक अपेक्षाएँ बंधन जैसे प्रतीत होती हैं। कैसे हम उनसे बचें और अपने लक्ष्य की तरफ़ अग्रसर रहें, चलिए जानते हैं।