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दूसरों के गुणों के सम्मान में अगर हम आल्हाद महसूस करते हैं तो मानियेगा हमारे भीतर मृदुता-कोमलता आने शुरू हो गए हैं।
अपने को गुणवान और श्रेष्ठ बना लो तो सम्मान अपने आप हो गया ।
परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी द्वारा उत्तम मार्दव धर्म पर दिए प्रवचन है।
By Maitree Samoohदूसरों के गुणों के सम्मान में अगर हम आल्हाद महसूस करते हैं तो मानियेगा हमारे भीतर मृदुता-कोमलता आने शुरू हो गए हैं।
अपने को गुणवान और श्रेष्ठ बना लो तो सम्मान अपने आप हो गया ।
परमपूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी द्वारा उत्तम मार्दव धर्म पर दिए प्रवचन है।