अष्टावक्र भले ही शरीर से अक्षम था मगर बुद्धि उसकी तेज थी। महर्षि उद्दालक के सानिध्य में रहकर उसने कम उम्र में ही वेद पुराण और विभिन्न शास्त्रों का अध्ययन कर लिया था। एक घटना के दौरान जब उसे अपने पिता की मौत का कारण पता चला तो उसने अपने पिता के कातिल से बदला लेने का संकल्प लिया! कौन था उसके पिता का कातिल? कैसा था उसका बदला?इसे जानने के लिए सुनिए यह कहानी।