1. हमें आत्म-साक्षात्कार के लिए जल्दी क्यों करनी चाहिए?
2. हमें सपने क्यों आते हैं ?
3. राजा जनक के स्वप्न की कथा।
4. सपने हर रात बदलते हैं, कोई निरंतरता नहीं है। लेकिन जाग्रत जीवन निरंतर है, तो यह स्वप्न कैसा?
शरीर की तुलना सपने से करना बिल्कुल उचित होगा।
स्वप्न:
- जागने पर सपना झूठ लगता है
- जब सपना घटित हो रहा होता है तो बिल्कुल सच लगता है
- और गहरी नींद में तो सपने का कोई मतलब ही नहीं है।
संसार भी खुली आंख का वह सपना है जो इंसान स्वयं देख रहा है और केवल देखने वाला ही सत्य है बाकी सब मिथ्या है। जिसका अस्तित्व हमेशा रहे वहीं सत्य है । परन्तु हमारी सच्चाई मन, बुद्धि और शरीर पर आ गई है वही सच लगने शुरू हो गए हैं। सच्चाई लगने और होने में बड़ा फर्क है। अज्ञानी अपनी अपनी सीमा में जीते हैं और और ज्ञानी असीम होकर जीता है ।
सिनेमा / स्वप्न / संसार =असत्य हैं क्योंकि सब प्रतिक्षण बदल रहे हैं। दृष्टि और दृष्टा का भेद को समझना होगा।
[शरीर वाले मैं] को त्याग कर [आत्मा वाले मैं] से को जानना होगा। वहीं ब्रह्मज्ञान है। यही एकमात्र रास्ता है मोक्ष को प्राप्त करने का।