Ek Geet Sau Afsane

“बाबुल मोरा नैहर छूट ही जाये..."


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आलेख : सुजॉय चटर्जी

स्वर :  राजीव पटेरिया

प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन

’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक कार्यक्रम ’एक गीत सौ अफ़साने’ में आप सभी श्रोताओं का फिर एक बार स्वागत है। नमस्कार दोस्तों! यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें हम बातें करते हैं किसी एक गीत की, उससे जुड़े तमाम पहलुओं की, गीतों की रचना प्रक्रिया से सम्बन्धित रोचक जानकारियों की, और ज़िक्र होता है दिलचस्प घटनाओं का। जहाँ आज रेडियो, टेलीविज़न और इन्टरनेट पर इस तरह के कार्यक्रमों की भरमार है, वहाँ इन कार्यक्रमों में दी जा रही जानकारियों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के इस कार्यक्रम की ख़ास बात यह है कि इसमें दी गई जानकारियाँ और तमाम तथ्य ऐसे साक्षात्कारों से लिए गए होते हैं जो कलाकारों या उनके परिवार जनों द्वारा ही कहे गए होते हैं। स्थापित पत्रिकाओं, आकाशवाणी व दूरदर्शन के स्थापित कार्यक्रमों तथा प्रकाशित पुस्तकों से प्राप्त जानकारियों से सजता है ’एक गीत सौ अफ़साने’।

आज की कड़ी में हम लेकर आए हैं वर्ष 1938 की चर्चित फ़िल्म ’Street Singer’ की कालजयी ठुमरी "बाबुल मोरा नैहर छूट ही जाये" से सम्बन्धित कुछ रोचक जानकारियाँ। कौन सी दो बड़ी ग़लतियाँ की थीं कुन्दनलाल सहगल साहब ने इस ठुमरी में? जानिये संगीतकार रायचन्द बोराल से इस गीत के फ़िल्मांकन के बारे में। साथ ही इस फ़िल्म से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातें। ये सब आज के इस अंक में।

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Ek Geet Sau AfsaneBy Radio Playback India