नकारात्मकता या तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं से कई प्रकार के मानसिक व्यवधान पैदा होते हैं। जिससे जीवन में कई प्रकार के मनोविकृति उत्पन्न हो जाती हैं। तनाव को किसी ऐसे शारीरिक, रासायनिक या भावनात्मक कारक के रूप में समझा जा सकता है, जो शारीरिक तथा मानसिक बेचैनी उत्पन्न करें, और वह रोग निर्माण का एक कारण भी बन सकता है। जब लोग अपने आसपास होने वाली किसी चीज से तनावग्रस्त महसूस करते हैं, तो उनके शरीर रक्त में कुछ रसायन छोड़ वह अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। यह रसायन लोगों को अधिक ऊर्जा तथा मजबूती प्रदान करते हैं। हल्की मात्रा में दबाव तथा तनाव कभी-कभी फायदेमंद होता है। तनाव के बगैर जिंदगी की कल्पना नहीं की जा सकती। एक हद तक मनोवैज्ञानिक तनाव हमारे जीवन का एक ऐसा हिस्सा होता है, जो सामान व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक साबित होता है। हालांकि यदि यह तनाव अधिक मात्रा में उत्पन्न हो जाए तब मनोचिकित्सा की आवश्यकता पड़ती है। तनाव दो प्रकार के होते हैं सकारात्मक तनाव तथा नकारात्मक तनाव, जिस का सामान्य अर्थ है चुनौती तथा अधिक बोझ होता है। जब हम तनाव को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं तब सकारात्मक तनाव होता है, तथा जब हम तनाव को अधिक बोझ के रूप में स्वीकार ते हैं तब नकारात्मक तनाव होता है। तनाव से निपटने के सही तरीके परिस्थिति को बदलें या अपनी प्रतिक्रिया में बदलाव लाएं। तनाव पैदा करने वाले कारकों से बचे या तनाव पैदा करने वाले कारकों को बदलें। तनाव पैदा करने वाले कारकों के मुताबिक अनुकूलित हो जाए या तनाव पैदा करने वाले कारकों को स्वीकार कर ले।