Kyaa aap jante hain? / Do you know?

भारत के शास्त्रीय नृत्य - भाग- 6 (ओड़िसी) | Classical Dance forms of India – Part 6 (Odisi)


Listen Later

ओड़िसी :

ओड़िसी नृत्य भारत की आठ प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैलियों में से एक है और इसका जन्म भारत के पूर्व में स्थित राज्य ओडिशा में हुआ था। यह एक सौम्य और गीतात्मक नृत्य शैली है जिसे प्रेम का नृत्य माना जाता है। यह मानव जीवन में छिपी दिव्यता को छूता है। यह जीवन की छोटी-छोटी बातों बहुत खूबसूरती से छूता है। ओड़िसी नृत्य का उल्लेख ब्रह्मेश्वर मन्दिर के शिलालेखों में देखा जा सकता है तथा वहाँ की मूर्तियों में ओड़िसी नृत्यांगनाओं की छवि भी देखी जा सकती है। इसके आलावा भुवनेश्वर के राजरानी और वेंकटेश मंदिर, पुरी के जगन्नाथ मंदिर और कोणार्क के सूर्या मंदिर में भी ओड़िसी नृत्य से जुड़े प्रमाण मिलते हैं।

इतिहास के जानकारों के हिसाब से ओड़िसी मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता था। यह ओड़िसा के प्राचीन कवियों द्वारा ओडिसी संगीत के रागों और तालों के अनुसार लिखे गीतों के पर किया जाता है। ओडिसी नृत्य के माध्यम से नर्तक वैष्णववाद की धार्मिक कहानियों और विचारों को व्यक्त करता है। ओडिसी प्रदर्शनों के माध्यम से अन्य विचार धाराओं को भी अभिव्यक्त किया जाता है जैसे कि हिंदू देवताओं शिव और सूर्य से संबंधित कथाएं तथा देवी के शक्ति रूप की कथाओं का प्रदर्शन। ओडिसी की झलक ओधरा मगध नामक नृत्य शैली में देखी जा सकती है। इसका उल्लेख शास्त्रीय नृत्य की दक्षिण-पूर्वी शैली, और नाट्यशास्त्र में भी किया गया है।

ओड़िसी एक बहुत ही शैलीबद्ध नृत्य है। पारंपरिक रूप से यह एक नृत्य-नाटक शैली है, जहाँ कलाकार और संगीतकार प्रतीकात्मक वेशभूषा, नृत्य और अभिनय के माध्यम से एक कहानी, आध्यात्मिक संदेश या हिंदू ग्रंथों के विभिन्न प्रसंगों का प्रदर्शन करते हैं। इस नृत्य की मुद्राएं प्राचीन साहित्य में वर्णित हैं। अभिनय के लिए शास्त्रीय ओडिया साहित्य, और पारंपरिक ओडिसी संगीत पर आधारित गीत गोविंद का उपयोग किया जाता है। इसमें दिखने वाली भंग, द्विभंग, त्रिभंग तथा पदचारण की मुद्राएं भरतनाट्यम से काफी मिलती हैं। एक ओड़िसी नृत्य प्रदर्शन में मंगलाचरण, नृत्त (शुद्ध नृत्य), नृत्य (अभिव्यक्ति युक्त नृत्य), नाट्य (नृत्यनाटिका) और मोक्ष यानि नृत्य अंतिम भाग या क्लाइमैक्स जिसे आत्मा की स्वतंत्रता और आध्यात्मिक मुक्ति भी कहा जा सकता है, शामिल होते हैं।

ओड़िसी नृत्य को आगे बढ़ाने में पंडित पंकज चरण दास जी का नाम सबसे ऊपर आता है। उन्होंने पंडित केलूचरण मोहपात्रा के साथ मिलकर, शिव एवं लक्ष्मी प्रिया नाम की नृत्यनाटिका की कोरीओग्रफी की जो बहुत ही प्रसिद्ध हुई। पंडित केलूचरण मोहपात्रा ने ओड़िसी नृत्य को एक नया रूप दिया और उसे देश - विदेश में प्रसिद्द बनाया। संयुक्ता पाणिग्रही ने चार साल की आयु से ही नृत्य करना शुरू कर दिया था। वे ओड़िसी नृत्य को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ले गईं और आगे चलकर ओड़िसी नृत्य की विशेषज्ञा बनीं। सोनल मानसिंह भी ओड़िसी नृत्य से जुड़ा एक जाना मन नाम है। उन्हें उनके योगदान के लिए सन १९९२ में पद्मा भूषन से सम्मानित किया गया। २००३ में उन्हें पद्मा विभूषण से सम्मानित किया गया। वह शास्त्रीय नृत्य में अपने योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित की गईं पहले महिला बनीं।

इलियाना सिटारिस्टी इटालियन मूल की नृत्यांगना हैं जो १९७९ इटली से ओडिसा आईं और उन्होंने पंडित केलूचरण मोहपात्रा से नृत्य की भिक्षा ली। उन्होंने जर्मनी, फ़्रांस और हॉलैंड सहित कई यूरोपीय देशों में ओड़िसी नृत्य का प्रदर्शन किया और अपने गुरु पंडित केलूचरण मोहपात्रा पर एक किताब भी लिखी। सन २००६ में भारत सरकार ने उनके योगदान को मान्यता देते हुए उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया।

...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

Kyaa aap jante hain? / Do you know?By Asha Gaur