bhajan: yahi hari bhakt kahate hain lyrics: Bindu Click here to listen to the bhajan by Dr. Uma Shrivastav यही हरि भक्त कहते हैं, यही सद्ग्रन्थ गाते हैं ।कि जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं । नहीं स्वीकार करते हैं, निमंत्रण नृप दुर्योधन का ।विदुर के घर पहुंचकर, भोग छिलकों का लगाते हैं । न आये मधुपुरी से गोपियों की, दुख कथा सुनकर ।द्रुपदजी की दशा पर, द्वारका से दौड़े आते हैं । न रोये बन गमन में, श्री पिता की वेदनाओं पर ।उठा कर गीध को निज गोद में आंसू बहाते हैं । कठिनता से चरण धोकर, मिले कुछ 'बिन्दु' विधि हर को ।वो चरणोदक स्वयं केवट के, घर जाकर लुटाते हैं ।